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Sunday, 8 April 2018

वीडियोकॉन कर्ज विवाद में CBI ने चंदा कोचर के देवर से की पूछताछ

विडियोकॉन ग्रुप के प्रमुख वेणुगोपाल धूत को आईसीआईसीआई बैंक द्वारा 3250 करोड़ रुपये लोन दिए जाने के मामले में बैंक की सीईओ और एमडी चंदा कोचर और उनके परिवार की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. इस केस के सिलसिले में जांच कर रही सीबीआई चंदा कोचर के देवर राजीव कोचर से भी पूछताछ कर रही है. हालांकि सीबीआई ने साफ किया कि उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है.

दीपक कोचर के भाई राजीव कोचर की सिंगापुर स्थित इस फाइनेंशियल कंपनी अविस्टा एडवायजरी सवालों के घेरे में है. आरोप है कि इस कंपनी को पिछले छह साल में सात कंपनियों के करीब 1.5 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा लोन को रीस्ट्रक्चर करने का काम मिला है, और संयोग से ये सभी कंपनियां ICICI बैंक की भी कर्जदार हैं. ऐसे ही एक सौदे में कर्जदारों का लीड बैंक आईसीआईसीआई है.

3,250 करोड़ के लोन में हेरा-फेरी का आरोप

दरअसल, ICICI बैंक और वीडियोकॉन ग्रुप के निवेशक अरविंद गुप्ता ने चंदा कोचर पर आरोप लगाया था कि कोचर ने वीडियोकॉन को कुल 3250 करोड़ रुपये के ऋण मंजूर करने के बदले में गलत तरीके से निजी लाभ लिया.

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में दर्ज जानकारी के मुताबिक ICICI बैंक की चीफ चंदा कोचर के पति दीपक ने धूत के साथ मिलकर दिसंबर 2008 में नूपावर रीन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड (NRPL) के नाम से साझा कंपनी बनाई. NRPL में धूत, उनके परिवार के सदस्यों और करीबियों के 50 फीसदी शेयर थे.

सेबी भी कस सकता है शिकंजा

आईसीआईसीआई बैंक के विवादों में घिरने के बीच बाजार नियामक सेबी ने देखना शुरू किया है कि कहीं इस मामले में सूचनाओं के प्रकाशन या कंपनी संचालन से जुड़ा कोई मामला तो नहीं बनता है.

इसी तरह वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज व इसके प्रवर्तक भी एक मामले में नियामक की निगाह में हैं. यह मामला आईसीआईसीआई बैंक व कुछ सार्वजनिक बैंकों के समूह द्वारा कंपनी को दिए गए कर्ज में कथित प्रतिदान से जुड़ा है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि नियामक ने निजी क्षेत्र के इस बैंक द्वारा बीते कुछ साल में किए गए विभिन्न खुलासों में शुरुआती जांच शुरू की है.

ICICI ने चंदा कोचर का किया बचाव

ICICI बैंक के बोर्ड ने अपनी एमडी और सीईओ चंदा कोचर पर पूरा भरोसा जताया है. आईसीआईसीआई बैंक के अध्यक्ष एमके शर्मा ने शुक्रवार को अपनी मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर के बचाव में उतरते हुए कहा कि बोर्ड को सीईओ पर पूरा भरोसा है.

Tuesday, 28 March 2017

CBIC का नया नाम सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स होगा

नई दिल्लीः पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली व्यवस्था वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी के मद्देनजर अब सेंट्रल बोर्ड ऑफ एंड एक्साइज कस्टम्स यानी सीबीईसी का नाम सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स यानी (सीबीआईसी) होगा. सरकार की योजना पहली जुलाई से जीएसटी लागू करने की है. नया बोर्ड पूरे देश में जहां इनडायरेक्ट टैक्स व्यवस्था पर नजर रखेगा, वहीं सरकार को जीएसटी से जुड़े कायदे-कानून बनाने में भी मदद करेगा. इसके अलावा आयात-निर्यात की सूरत में कस्टम ड्यूटी और पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर सेंट्रल एक्साइज लगाने का जिम्मा भी नए बोर्ड का होगा.

नयी व्यवस्था में 21 जोन और 101 जीएसटी टैक्स पेयर सर्विसेज कमिश्नरेट होंगे. इसके तहत 15 सब-कमिश्नरेट, 768 डिविडन, 3969 रेंजेंस, 49 ऑडिट कमिश्नरेंट्स और 50 अपीलेट कमीशनरेट्स होंगे. देशव्यापी स्तर पर फैली इस व्यवस्था का मकसद टैक्स देने वालों को हर तरह की सहूलियत मुहैया कराना है.

जीएसटी की तहत सूचना तकनीक की व्यवस्था को और मजबूत बाने के मकसद से डायरक्टरेट जनरल ऑफ सिस्टम्स को और मजबूत बनाया जा रहा है. दूसरी ओर प्रशिक्षण के लिए मौजूदा संगठन का नया नाम नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम्स, इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड नॉरकोटिक्स होगा. इसकी मौजूदगी पूरे देश में होगी. इसी तरह डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस का नाम डायरेक्टरेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स होगा. सरकार इस नए तंत्र के जरिए काले धन के खिलाफ मुहिम में और तेजी लाना चाहती है.

अब सबके मन में सवाल है कि जीएसटी के तहत टैक्स की दर क्या होगी. वैसे तो अधिकारियों का एक समूह इस काम में लगा है लेकिन अभी तक जो खाका खींचा गया है, उसके मुताबिक जीएसटी की चार दरें – 5, 12. 18 और 28 फीसदी- होगी. इसके मुताबिक

Source:-Abpnews
Viewmore:-नई दिल्लीः पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली व्यवस्था वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी के मद्देनजर अब सेंट्रल बोर्ड ऑफ एंड एक्साइज कस्टम्स यानी सीबीईसी का नाम सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स यानी (सीबीआईसी) होगा. सरकार की योजना पहली जुलाई से जीएसटी लागू करने की है. नया बोर्ड पूरे देश में जहां इनडायरेक्ट टैक्स व्यवस्था पर नजर रखेगा, वहीं सरकार को जीएसटी से जुड़े कायदे-कानून बनाने में भी मदद करेगा. इसके अलावा आयात-निर्यात की सूरत में कस्टम ड्यूटी और पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर सेंट्रल एक्साइज लगाने का जिम्मा भी नए बोर्ड का होगा.

नयी व्यवस्था में 21 जोन और 101 जीएसटी टैक्स पेयर सर्विसेज कमिश्नरेट होंगे. इसके तहत 15 सब-कमिश्नरेट, 768 डिविडन, 3969 रेंजेंस, 49 ऑडिट कमिश्नरेंट्स और 50 अपीलेट कमीशनरेट्स होंगे. देशव्यापी स्तर पर फैली इस व्यवस्था का मकसद टैक्स देने वालों को हर तरह की सहूलियत मुहैया कराना है.

जीएसटी की तहत सूचना तकनीक की व्यवस्था को और मजबूत बाने के मकसद से डायरक्टरेट जनरल ऑफ सिस्टम्स को और मजबूत बनाया जा रहा है. दूसरी ओर प्रशिक्षण के लिए मौजूदा संगठन का नया नाम नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम्स, इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड नॉरकोटिक्स होगा. इसकी मौजूदगी पूरे देश में होगी. इसी तरह डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस का नाम डायरेक्टरेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स होगा. सरकार इस नए तंत्र के जरिए काले धन के खिलाफ मुहिम में और तेजी लाना चाहती है.

अब सबके मन में सवाल है कि जीएसटी के तहत टैक्स की दर क्या होगी. वैसे तो अधिकारियों का एक समूह इस काम में लगा है लेकिन अभी तक जो खाका खींचा गया है, उसके मुताबिक जीएसटी की चार दरें – 5, 12. 18 और 28 फीसदी- होगी. इसके मुताबिक

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नयी व्यवस्था में 21 जोन और 101 जीएसटी टैक्स पेयर सर्विसेज कमिश्नरेट होंगे. इसके तहत 15 सब-कमिश्नरेट, 768 डिविडन, 3969 रेंजेंस, 49 ऑडिट कमिश्नरेंट्स और 50 अपीलेट कमीशनरेट्स होंगे. देशव्यापी स्तर पर फैली इस व्यवस्था का मकसद टैक्स देने वालों को हर तरह की सहूलियत मुहैया कराना है.

जीएसटी की तहत सूचना तकनीक की व्यवस्था को और मजबूत बाने के मकसद से डायरक्टरेट जनरल ऑफ सिस्टम्स को और मजबूत बनाया जा रहा है. दूसरी ओर प्रशिक्षण के लिए मौजूदा संगठन का नया नाम नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम्स, इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड नॉरकोटिक्स होगा. इसकी मौजूदगी पूरे देश में होगी. इसी तरह डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस का नाम डायरेक्टरेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स होगा. सरकार इस नए तंत्र के जरिए काले धन के खिलाफ मुहिम में और तेजी लाना चाहती है.

अब सबके मन में सवाल है कि जीएसटी के तहत टैक्स की दर क्या होगी. वैसे तो अधिकारियों का एक समूह इस काम में लगा है लेकिन अभी तक जो खाका खींचा गया है, उसके मुताबिक जीएसटी की चार दरें – 5, 12. 18 और 28 फीसदी- होगी. इसके मुताबिक

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नयी व्यवस्था में 21 जोन और 101 जीएसटी टैक्स पेयर सर्विसेज कमिश्नरेट होंगे. इसके तहत 15 सब-कमिश्नरेट, 768 डिविडन, 3969 रेंजेंस, 49 ऑडिट कमिश्नरेंट्स और 50 अपीलेट कमीशनरेट्स होंगे. देशव्यापी स्तर पर फैली इस व्यवस्था का मकसद टैक्स देने वालों को हर तरह की सहूलियत मुहैया कराना है.

जीएसटी की तहत सूचना तकनीक की व्यवस्था को और मजबूत बाने के मकसद से डायरक्टरेट जनरल ऑफ सिस्टम्स को और मजबूत बनाया जा रहा है. दूसरी ओर प्रशिक्षण के लिए मौजूदा संगठन का नया नाम नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम्स, इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड नॉरकोटिक्स होगा. इसकी मौजूदगी पूरे देश में होगी. इसी तरह डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस का नाम डायरेक्टरेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स होगा. सरकार इस नए तंत्र के जरिए काले धन के खिलाफ मुहिम में और तेजी लाना चाहती है.

अब सबके मन में सवाल है कि जीएसटी के तहत टैक्स की दर क्या होगी. वैसे तो अधिकारियों का एक समूह इस काम में लगा है लेकिन अभी तक जो खाका खींचा गया है, उसके मुताबिक जीएसटी की चार दरें – 5, 12. 18 और 28 फीसदी- होगी. इसके मुताबिक

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